RSS Nagaur : स्वयंसेवकों की कदमताल, जसवंत खत्री ने बताए शताब्दी वर्ष के 05 काम
- सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का भाव तथा नागरिक शिष्टाचार को महत्व
- स्वामी विवेकानंद जयंती पर संघ का पथ संचलन कार्यक्रम संपन्न।
- गांधी चौक में अपार जन समूह ने किया स्वागत
- गांधी चौक में हुआ भक्ति व शक्ति द्वि-धारा का संगम ठीक 03:33 बजे
- सेवानिवृत्त एयर मार्शल जगदीश चंद्र रहे मुख्य अतिथि
- कांकरिया स्कूल में हुआ शारीरिक प्रदर्शन तथा बौद्धिक कार्यक्रम
RNE Nagaur.
नागौर का सबसे व्यस्ततम गांधी चौक चौराहा। दोपहर का समय। अचानक दो तरफ से घोष के डंके की आवाज आने लगी। कुछ ही देर यह आवाज तेज हो गई। फिर दोनों ओर से आता दिखा RSS के स्वयंसेवकों का कारवां। सफेद कमीज। गहरे रंग की पेंट हाथों में दंड थामे कदम मिलाते हुए ये स्वयं सेवक एक ही समय में घूमते हुए एक मोड़ पर आकर यूं मिले मानों नदियों का संगम हुआ हो। देखने वाले सैकड़ों लोगों के हाथ खुद-ब-खुद तालियां बजने लगे और होठों से फूटा उद्घोष-भारत माता की जय। इसके साथ ही संघ के गुरु प्रतीक भगवान ध्वज पर पुष्प वर्षा करके वंदन व सम्मान किया।
दरअसल यह दृश्य है नागौर में RSS की ओर से निकले द्विधारा संगम पथ संचलन का। यहां दो धाराओं के रूप में मिली वाहिनियों में से एक का नाम भक्ति और दूसरी का नाम शक्ति रखा गया। ऐसे ने नागौर के गांधी चौक चौराहे पर भक्ति-शक्ति का संगम हुआ।
शारीरिक प्रदर्शन और बौद्धिक :
सेठ किशन लाल कांकरिया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से प्रारम्भ हुए पथ संचलन से पूर्व जेसला पीठ फलोदी के आचार्य स्वामी रामाचार्य के सान्निध्य में शारीरिक प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ। सेवानिवृत्त एयर फोर्स कमांडर इन चीफ मेंटेनेंस कमांड, भारतीय वायु सेवा के एयर मार्शल जगदीश चंद्र के मुख्य आतिथ्य रहे। संघ के राजस्थान क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री ने मुख्य वक्ता के रूप में बौद्धिक दिया।
यह बोले स्वामी रामाचार्य :
जैसला पीठ फलोदी के आचार्य स्वामी रामाचार्य ने कहा कि विवेकानंद जयंती का अवसर प्रेरणा का दिन है। युवा इस दिन अपने स्व को जगाने का प्रयास करते हैं। आज के समय में हम अमेरिका और आसपास के देशों की जानकारी तो गूगल आदि किसी न किसी माध्यम से कर लेते हैं लेकिन हम अपने स्व को विस्मृत कर रहे हैं। हम कौन थे, क्या हो गए,इस पर चिंतन करना आवश्यक है। भारत जमीन का साधारण टुकड़ा नहीं है। भारत ने अपने संस्कृति ज्ञान व आध्यात्मिकता के बल पर पूरे विश्व का नेतृत्व किया। राजस्थान की धरती पर मीराबाई व कर्मा बाई ने प्रेरक जीवन संदेश दिया। लक्ष्मीबाई ने हंसते-हंसते मातृभूमि के लिए प्राण त्याग दिए। भारत की संस्कृति खाना और सोना की विचारधारा नहीं है। यहां विश्व के प्रति कुटुम्बकम का भाव है। देश, मां, बहिन, गौ पर संकट आए तो संत शक्ति हाथ में माला के स्थान पर भाला भी धारण कर लेती है।
एयर मार्शल जगदीश चंद्र बोले, विश्व गुरु बनाने में आध्यात्मिक शक्ति महत्वपूर्ण :
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त एयर फोर्स कमांडर इन चीफ मेंटेनेंस कमांड भारतीय वायु सेवा के एयर मार्शल जगदीश चंद्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि शक्ति व भक्ति की धारा अलग-अलग नहीं है। दोनों में समन्वय है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए यह समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रत्येक बटालियन के अपने आराध्य देव व प्रेरक उद्घोष है जो बटालियन में शक्ति व विश्वास का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारत के इतिहास को गौरवमय बताया और भविष्य भी श्रेष्ठ होगा, ऐसी कामना की है। हमें राष्ट्र को विश्व गुरु का सपना साकार करना है ऐसा कार्य करना है। इसके लिए हमें स्वयं को एक दाहरण बनना है। इस कार्य में भारत की आध्यात्मिक शक्ति महत्वपूर्ण है।
क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री ने देश-दुनिया के हालात पर की बात :
राजस्थान क्षेत्र के कार्यवाह जसवंत खत्री ने कहा, आज हर दिशा से जल, जमीन, खेत, कन्या, नारी की अस्मिता, संस्कृति, सभ्यता, पर्यावरण को बचाओ ऐसी आवाज आ रही है। शक्ति से संपन्न विचार ही इसे बचा सकता है। विध्वंस व नाश करने वाली विचारधारा विचार इसे नहीं बचा सकती। विश्व में जिहादी ताकतें, मत्तांतरण करने वाली ताकत, सेवा के नाम पर संवेदनाओं को व्यापार तथा व्यवसाय बनाने वाली ताकतों से दुनिया को बहुत बड़ा खतरा है। बाजारवादी ताकतें समूचे विश्व को बाजार मानकर उसका शोषण करना चाहती है जबकि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम के विचार को साथ लेकर आगे बढ़ रही है। जॉर्ज सोरोस जैसे व्यक्ति डीप स्टेट की योजना बनाकर सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ाने वाली सरकार को रोकने के प्रयासों में लगे रहते हैं। ये ब्यूरोक्रेसी, खुफिया तंत्र तथा राजनीति में अंदर तक घुस चुका है।
जसवंत खत्री ने बताया कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में पांच प्रकार के कार्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, जिसमें सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का भाव तथा नागरिक शिष्टाचार को महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने कहा था यदि छुआछूत अपराध नहीं है तो दुनिया में कुछ भी अपराध नहीं है। परिवार प्रबोधन के अंतर्गत अपने भजन, भोजन, भ्रमण व भाषा को महत्व देना है। उन्होंने कहा कि जल, जमीन, वायु इनको बनाया नहीं जा सकता लेकिन उसका सीमित उपयोग करके हम पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं।